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आज राजीव की पुण्यतिथि है…सुपर कंप्यूटर और पंचायती राज के लिए आपका ऋणी रहेगा भारत

सत्ता के गलियारों में जब किसी एक परिवार को निशाना बनाकर राजनैतिक लाभ उठाया जाने लगे, तब उस झूठ के खिलाफ बोलना, उस षड्यंत्र से लड़ना और उस नफरत को हराना अति आवश्यक हो जाता है।

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नेहरू, इन्दिरा, सोनिया, राहुल के बारे में ना जाने कितने झूठे तर्क परोसे जा चुके है। व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी में गांधी परिवार को देश का दुश्मन घोषित किया जा चुका है। गोदी मिडिया के तथ्यविहीन अनर्गल दावों ने राहुल को राजनीति का खलनायक बना दिया है, राजीव को भ्रष्टाचारी, नेहरू को गद्दार और इंदिरा को तानाशाह बताया है..! 

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ये 21 मई सन् 1991 की घटना है। तमिलनाडु के श्रीपेरंबदुर में कांग्रेस की जनसभा होनी थी। रैली में दबरदस्त भीड़ थी, ‘राजीव गांधी ज़िंदाबाद’ के नारों से पूरा श्रीपेरंबदुर गूंज रहा था, राजीव जनसभा को संबोधित करने के लिए मंच की ओर बढ़ चले थे। तभी तीस साल की एक नाटी लड़की चंदन का हार लेकर राजीव की तरफ बढ़ती है,

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पैर छूने के लिए झुकती है, बटन दबाती है और राजीव का शरीर चिथड़ों में बंट जाता है। भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री के शरीर का एक हिस्सा औंधे मुंह पड़ा हुआ मिलता है, जबकि उनके फटे हुए कपाल से मगज बाहर निकलकर उनके सुरक्षा कर्मी के पैरों पर जा गिरता है..!

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सोनिया को आभास हो गया कि कुछ अनहोनी हुई है क्योंकि आम तौर पर शांत रहने वाले जॉर्ज ने इस तरह की हरकत पहले कभी नहीं की थी. जॉर्ज ने काँपती हुई आवाज़ में कहा “मैडम चेन्नई में एक बम हमला हुआ है.”

सोनिया ने उनकी आँखों में देखते हुए राजीव के बारे में पूछा लेकिन जॉर्ज की चुप्पी ने सोनिया को सब कुछ बता दिया था.

पीसी एलेक्ज़ेंडर की किताब ‘माई डेज़ विद इंदिरा गांधी’ के मुताबिक जब राजीव सोनिया को बता रहे थे कि पार्टी उन्हें प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाना चाहती है तब सोनिया भड़क गई थी और मना करते हुए कहा था ‘वो तुम्हें भी मार डालेंगे’. राजीव का जवाब था, ‘मेरे पास कोई विकल्प नहीं है. मैं वैसे भी मारा जाऊँगा.’ सात वर्ष बाद राजीव के बोले वो शब्द सही सिद्ध हुए..!

देश की अखंडता के लिए राजीव चिथरों में बंट गए..। उनका संघर्ष पूरे देश के लिए अमर हो गया, पूरा देश उनकी कुर्बानी का कर्जदार हो गया।

राजीव हमेशा याद किए जायेंगें संचार और कम्प्यूटर क्रांति के लिए, नवोदय विद्यालय और शिक्षा के प्रसार के लिए, 18 साल के युवाओं को मताधिकार और पंचायती राज चुनाव के लिए,

अपने दूरगामी फैसलों के लिए, ईमानदारी के लिए, अपने राजनैतिक कार्यकाल में देश को तकनीक और वैश्विक बुलंदियों तक पहुंचाने के लिए, मां की शहादत के बाद नेताविहीन भारत को संभालने के लिए। जब भी राहुल की मासूमियत झलकेगी, राजीव याद आयेंगे।

आज राजीव की पुण्यतिथि है..

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