15 जून के बाद मुखिया जी का पावर खत्म:पंचायत प्रतिनिधियों का अधिकार अफसरों के पास, गांव के लोगों का काम BDO, DDC और DM देखेंगे : बिहार में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर लगभग पूरी तरह से ग्रहण लग गया है। ऐसे में बिहार की त्रिस्तरीय पंचायतों का कामकाज 15 जून के बाद जनप्रतिनिधियों के जिम्मे नहीं, बल्कि अधिकारियों के हाथ में चला जाएगा।
वार्ड से लेकर ग्राम पंचायत, पंचायती समिति और जिला परिषद तक की विकास योजनाएं बनाने और मंजूर करने का अधिकार प्रखंड से लेकर जिलों के अफसरों को देने की तैयारी सरकार कर रही है। पंचायती राज व्यवस्था के तहत होने वाले काम अफसरों के जिम्मे होंगे। जब तक नवनिर्वाचित प्रतिनिधियों का शपथ ग्रहण नहीं हो जाता, तब तक पंचायत का पूरा काम अधिकारी ही देखेंगे।
अब सवाल उठता है कि जो काम मुखिया, सरपंच, वार्ड पार्षद देखते थे, वो काम कौन देखेगा? इसको लेकर अभी तक पंचायती राज अधिनियम में प्रावधान नहीं किया गया है कि चुनाव समय पर नहीं होंगे तो त्रिस्तरीय व्यवस्था के तहत होने वाले काम कैसे होंगे, इसलिए अधिनियम में संशोधन किया जाना जरूरी है।
पंचायती राज का काम जिलों DM नीचे के अपने पदाधिकारियों में बांटेंगे। वार्ड, ग्राम पंचायत और पंचायत समिति के तहत होने वाले काम BDO करेंगे। वहीं जिला परिषद के माध्यम से होने वाले काम को DDC कराएंगे।
उन्हीं के पास सारे अधिकार होंगे। हालांकि अधिनियम में संशोधन का काम विधानसभा में किया जाता है, लेकिन फिलहाल विधानसभा का सत्र नहीं चल रहा है तो इसलिए अध्यादेश लाकर इसमें संशोधन किया जा सकता है और बाद में विधानसभा में लाकर इसे परित किया जाएगा।
BDO,DDC और DM
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी कहते हैं कि चुनाव कब होंगे, इसका फैसला बिहार राज्य चुनाव आयोग करेगा। बिहार सरकार सिर्फ पंचायती राज के तहत काम करने वाले जनप्रतिनिधियों को फंड और अन्य इंतजाम करती है। सम्राट चौधरी के मुताबिक बिहार सरकार फंड देने का काम पहले ही कर चुकी है,
लेकिन आज की तारीख में चुनाव कराना संभव नहीं लग रहा है। ऐसे में देखना होगा कि चुनाव आयोग का इस पर क्या रुख रहता है। 15 जून से पहले नया निर्वाचन नहीं होने की स्थिति में मुखिया, सरपंच, वार्ड पार्षद सहित त्रिस्तरीय पंचायत समिति के अधिकार ले लिए जाएंगे.
और उनकी जगह BDO, DDC और DM को जिम्मेदारियां दी जाएंगी। इसके लिए नीतीश कुमार सरकार पंचायती राज अधिनियम 2006 में अध्यादेश के माध्यम से संशोधन की तैयारी कर रही है।