Site icon First Bharatiya

सहारा में फसें रूपये मिलने शुरू, इंटरेस्ट के साथ मिलेंगे पैसे, सरकार के दिया आदेश

blank 1rggr

देश के लाखों लोगों के लाखों रूपये सहारा इंडिया में अब भी फसे हुए है. सहारा (Sahara Group) की कंपनियों पर देश के लोगों के मेहनत के पैसे गमन करने का आरोप है. अनेक लोग अपने जीवन के जमा पूंजी सहारा में जमा कर दिए ताकि सहारा में उनके पैसे बढे. लेकिन हुआ इसका ठीक उल्टा सहारा कंपनी घाटे में चलने लगी और लोगो के पैसे डूबने लगे.

Also read: सासाराम, डीडीयू, प्रयागराज, कानपुर होते हुए यहाँ तक जायेगी ट्रेन बिहार से खुलने वाली 5 स्पेशल ट्रेन, जानिये टाइम टेबल के साथ रूट

सुप्रीम कोर्ट ने दिए आदेश

जब लोगो को पता चला की सुब्रोत राय की सहारा कंपनी पैसे की उलटफेर कर रहा है तो सरकार ने एक्शन लेना शुरू कर दिया. जाँच पड़ताल में सहारा की कंपनियों को दोषी पाया. सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2012 को आर्डर दिया की जल्द से जल्द लोगो के रूपये लौटा दिए जाए. सहारा सेबी खाते (Sahara SEBI Refund) में अबतक 25,781.37 करोड़ रूपये के बदले 15,503.69 रूपये ही जमा किये गए है.

Also read: Weather News : हो जाइए सावधान अगले 48 घंटे के अंदर इन 10 से अधिक शहरों में होने वाली है मुसलाधार बारिश, जानिये पूर्वानुमान!

कितना पैसा लौटाया है अभीतक

सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (SIRECL) में लगभग 232.85 लाख इन्वेस्टर है जिनसे कुल 19400.87 करोड़ रुपये जमा किये गए थे. दूसरी कंपनी सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड में 75.14 लाख इन्वेस्टर हैं जिनसे 6380.50 करोड़ रुपये की उकाही की गई थी . मिली जानकारी के अनुसार सहारा अभीतक 38.07 करोड़ रूपये ही लोगो को लौटा पाया है.

Also read: हमसफर क्लोन,राजधानी, शताब्दी एक्सप्रेस और वन्दे भारत एक्सप्रेस को लेकर आया बड़ा अपडेट, इन लोगों के लिए रिजर्व रहेगी ट्रेन में सीट

मौजूदा हालात क्या है

लोगो के पैसे वापसी को लेकर सरकार भी अब एक्शन में आ गई है. जाँच पड़ताल के बाद सेबी ने सहारा की दो कंपनियों , सुब्रत रॉय और तीन अन्य लोगों पर 12 करोड़ रूपये का फाइन लगा दिया है . पूछताछ चल रही है जल्दी ही लोगो को उनके पैसे सुध समेत वापस कर दिए जायेंगे.

Also read: Bihar Weather Update : अच्छी खबर बिहार के इन १२ जिलों में होने वाली है तगड़ी बारिश गिरेंगे ओला पत्थर, जाने अपने क्षेत्रों का हाल?

Exit mobile version