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मरने से पहले लाइव कर बोला कोराना मरीज, आपके पांव पड़ता हूं प्लीज सवाधान रहें, सब बर्बाद हो जाएगा.

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जनसंख्या नियंत्रण का चल रहा काम, इसलिए कोरोना को न लें हल्के में’, संक्रमण से जंग हारने वाले रोटी बैंक के किशोर कांत का आखिरी पैगाम : यूपी में काशी के सामाजिक कार्यकर्ता और रोटी बैंक चलाने वाले किशोर कांत तिवारी नहीं रहे। गुरुवार को उन्होंने अंतिम सांसें लीं। उन्हें टाइफाइड के बाद कोरोना हुआ था.

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जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया। पर बचाया नहीं जा सका। और उसके बाद उनकी मृत्यु हो गई भरवा मिर्ची से पहले लाइव आकर बोला करुणा वाले मरीज प्लीज सावधान हो जाए मैं आपके पैर पड़ता हूं नहीं तो सब कुछ बर्बाद हो जाएगा आपका.

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मौत की जंग से जूझने के दौरान उन्होंने बेड पर लेटे-लेट एक रोज फेसबुक पर लाइव किया था, जिसमें उन्होंने कोरोना को लेकर अपनी राय और अनुभव साझा किया था। उनका कहना था कि इस वक्त जनसंख्या नियंत्रण का काम चल रहा है, इसलिए कोरोना को हल्के में न लें। साथ ही अपील भी की थी कि लोग अपनी सुरक्षा का खुद ही ख्याल रखें।

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अपने आखिरी पैगाम में उन्होंने कहा था, “जनसंख्या नियंत्रण का काम चल रहा है। अपनी जान की सुरक्षा अपने हाथ में ही रखें। कोरोना भयावह रूप ले रहा है। मैंने कोरोना को जाना और समझा है। इसे हल्के में न लें, क्योंकि यह पैर पसार चुका है।”

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वह बोले थे, “दुनिया अपने-अपने बारे में सोचेगी। 24 मार्च, 2020 का लॉकडाउन लगा, पर अस्पतालों में कोई खाना नहीं बांटने जाता था।

डर के मारे कि कहीं कोरोना न हो जाए। लेकिन हमने हिम्मत जुटाई। पूरा बनारस के अस्पतालों में खाना पहुंचाया। महादेव सब ठीक करेंगे। हर काली रात के बाद सवेरा होता है। मेरे भाइयों, इस दुख की घड़ी में एक-दूजे का हमदर्द बनिए।”

उनके मुताबिक, “हम जो चीज झेल रहे हैं, वह आप कभी न झेलें, इसलिए चाहता हूं कि आप न झेलें। मैं बहुत पीड़ा में हूं। मैं पैर पड़ता हूं कि कोरोना को हल्के में न लें।” बकौल किशोर, “कोरोना मरीज ऐसे दुत्कार दिए जाते हैं। मैंने बहुत देखा, पर नहीं जानता था.

कि इतनी दुर्गति होने वाली है। देखा तो रुंह कांप गई। आप लोगों के बीच फिर उसी रफ्तार में रोटी बैंक का झंडा लहराते हुए हर-हर महादेव के नारे के साथ किशोर तिवारी निकलता है, वही नजर आएगा। जय-जय सियाराम।” यह है किशोर का आखिरी

बता दें कि किशोर काशी में रोटी बैंक चलाते थे। वह इसके अलावा अन्य सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रहते थे। लॉकडाउन के दौरान भी उन्होंने और उनके रोटी बैंक ने लोगों की खासा मदद की थी। खुद की तबीयत खराब होने के बाद पहले उनका घर पर इलाज चला, पर हालत में सुधार न हुआ। ऐसे में उन्हें अस्पताल ले जाया गया, पर डॉक्टर उन्हें बचाने में नाकाम रहे।

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