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बिहार में ये तीन बड़े प्रोजेक्‍ट पर मंडरा रहा है खतरा ; पटना, सारण, दरभंगा सहित कई जिलों को होगा नुकसान जाने पूरी बात…

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किसी भी रोड नाला के निर्माण के लिए सदरान्तः पांच वर्षो का समय दिया गया है | जो की बहुत होता है पर यहाँ पर तो पुरे पांच साल भी बिट गए और सड़क निर्माण के लिए (डीपीआर) तक नहीं तैयार कर पाया | यो हम कैसे मान ले की बिहार में सदा निर्माण पर खतरा नहीं है | बता दें कि इस रोड या हाईवे की मांग लोगों द्वारा बहुत समय से की जा रही थी लगातार यह मांगे उठ रही थी कि यहां पर एक रोड या हाईवे बनाया जाए | और सरकार ने वर्ष 2017 में एनएचएआइ को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने भारतमाला शृंखला के तहत उमगांव-महिषी और चोरमा-बैरगनिया सड़क के लिए डीपीआर बनाए जाने का जिम्मा दिया था। इसके अतिरिक्त दीघा-सोनपुर पुल के डीपीआर को भी मंजूरी के लिए एनएचएआइ को दिया गया था, पर अभी तक डीपीआर को लेकर किसी तरह की सुगबुगाहट नहीं है।

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बता दे की यह सड़क उमगांव मधुबनी के हरलाखी के समीप है। यह सड़क 105 किमी लंबाई में है। यह मधुबनी जिला से होते हुए दरभंगा, सुपौल व सहरसा जिले को संपर्कता प्रदान करेगी। और ये मार्ग माँ भगवती के मंदिर से होते हुए भी गुजरेगी |

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चोरमा-बैरगनिया सड़क पूर्वी चंपारण को सीतामढ़ी से जोड़ रही है। यह सड़क मधुबन-ढाका-पकड़ीदयाल से बैरगनिया पहुंच रही है। 27 गांवों से होकर गुजरने वाली इस सड़क पर तीन बाइपास भी प्रभावित हैं। इतने दिन हो गए लेकिन अभी तक इस सड़क के डीपीआर को लेकर कोई सुगबुगाहट तक नहीं है।

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पटना के दीघा-सोनपुर पुल के समानांतर बनने वाले फोर लेन पुल को भी भारतमाला शृंखला के तहत शामिल कर लिया गया है। आरंभ में इसका निर्माण राज्य सरकार अपने स्तर से कराना चाहती थी, पर भारतमाला शृंखला में शामिल होने के बाद यह सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को चला गया। पुल के निर्माण को ले डीपीआर तैयार कराया था। उसे मंत्रालय को सौंपा गया। मंत्रालय ने इसे एनएचएआइ को सौंप दिया, पर अभी तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है।

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