IAS बन कर अपने समाज व देश की सेवा करना हर किसी का सपना होता है. ऐसा ही कहानी है. पच्चीस वर्षीय तपस्या परिहार ने जब UPSC की परीक्षा में 990 चयनित उम्मीदवारों में से 23वां रैंक हासिल किया तो पूरा इलाका झूम उठा। जानकारी के लिए बता दे की एक किसान की युवा बेटी मध्य प्रदेश के जोवा के अविकसित गाँव से है, जिसकी आबादी केवल 800 है और कुल साक्षरता दर 63% है।
आपको बता दे की इस गाँव की अधिकांश लड़कियों को कभी भी शिक्षा प्राप्त करने का अवसर नहीं मिला क्योंकि उनमें से बहुतों को कम उम्र में ही शादी करनी होती है और माँ बनना पड़ता है। किन्तु तपस्या की कहानी कुछ अलग है। उनके पिता और परिवार ने उन्हें हमेशा पढ़ने और आगे बढ़ने के लिये उत्साहित किया। सो, उसने अपने दूसरे प्रयास में परीक्षा पास कर ली। हालाँकि उसने अपने पहले प्रयास के लिये दिल्ली में कोचिंग की लेकिन वह प्रीलिम्स भी नहीं निकाल सकी।
तपस्या अपने बालपन से पढ़ाई पर खूब ध्यान देतीं थीं। उन्होंने सबसे पहली क्लास टेन की परीक्षा में टॉप किया। इसके बाद क्लास बारहवीं की परीक्षा में भी उन्होंने स्कूल टॉपर बनकर सबको चकित कर दिया। यही नहीं वो पूरे जिले में फेमस हो गईं। उन्होंने अपनी स्कूलिंग नरसिंहपुर के सेंट्रल स्कूल से की।
चूंकि वे अपने स्कूल की टॉपर थीं और उन्हें हमेशा अच्छे नंबर आते थे। ऐसे में तपस्या को खुद में यह भरोसा करने लगीं थीं कि वे UPSC परीक्षा क्वालिफाई कर सकती हैं। इसी इरादे के साथ तपस्या ने ग्रेजुएशन पूरा किया और UPSC सीएसई की तैयारी के लिये दिल्ली चली गईं। तपस्या ने अपना ग्रेजुएशन पुणे के सोसाइटीज़ लॉ कॉलेज से किया।
दिल्ली में यूपीएससी के फर्स्ट अटेम्प्ट के बाद तपस्या ने कोचिंग छोड़ने का फैसला किया और दूसरी बार सेल्फ स्टडी पर भरोसा किया। और फिर तपस्या ने कुछ ऐसा कर दिखाया कि सब चकित रह गये। कल तक उनकी आगे की पढ़ाई का विरोध कर रहे लोगों को उन्होंने आखिर गलत साबित कर दिया। वह न केवल प्रतियोगी परीक्षा में सफलता हासिल की बल्कि टॉप 25 में आने में भी कामयाब हासिल की।