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बिहार में अगर समय पर मुखिया का चुनाव नहीं हुआ तो सारा पावर मिलेगा DM-BDO को

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बिहार में मुखिया का चुनाव जल्द ही होने वाला है. मुखिया के साथ-साथ सरपंच, वार्ड सदस्य, पंच, पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्यों के भी चुनाव होने वाले हैं. पंचायत चुनाव से पहले सैकड़ों मुखिया और वार्ड सदस्यों को करारा झटका लग सकता है.

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क्योंकि नीतीश सरकार एक बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है. बिहार में पंचायत चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं लेकिन अभी भी चुनाव की तारीखों का एलान नहीं हो पाया है.

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अगर पिछले चुनाव से तुलना करें तो अभी ही एक महीना से ज्यादा विलंब हो चुका है. ईवीएम मशीन से चुनाव कराने का मामला इतना फंस गया है कि फिलहाल चुनाव की तारीखों का एलान संभव नहीं दिख रहा है.

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माना जा रहा है अभी और भी ज्यादा समय लग सकता है. ऐसे में सभी जनप्रतिनिधियों के मन में ये सवाल है कि अगर समय पर इलेक्शन नहीं हो पाया तो क्या होगा.

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हम आपको बता दें कि अगर बिहार में समय पर पंचायत चुनाव नहीं हो पाया तो नीतीश सरकार एक बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है.

नीतीश सरकार कठोर कदम अख्यितार करने जा रही है और अगर ऐसा हुआ तो मुखिया, सरपंच, वार्ड, ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद् सबका पावर छीन जायेगा.

बिहार में ग्राम पंचायत के चुनाव अगर समय पर नहीं हुए तो पंचायतें अवक्रमित होंगी. 15 जून से पहले नया निर्वाचन नहीं होने की स्थिति में मुखिया-प्रमुख आदि के अधिकार छीन जायेंगे.

इसके बाद पंचायती राज व्यवस्था के तहत होने वाले कार्य अफसरों के जिम्मे होंगे. जब तक नवनिर्वाचित प्रतिनिधियों का शपथ ग्रहण नहीं हो जाता, तब-तक अफसर ही योजनाओं का क्रियान्वयन कराएंगे.

इसके लिए नीतीश कुमार सरकार पंचायती राज अधिनियम 2006 में अध्यादेश के माध्यम से संशोधन की तैयारी कर रही है.

गौरतलब हो कि पंचायती राज अधिनियम में इसका प्रावधान नहीं किया गया है कि चुनाव समय पर नहीं होंगे तो त्रि-स्तरीय व्यवस्था के तहत होने वाले कार्य किनके माध्यम से संपन्न कराए जाएंगे,

इसलिए अधिनियम में संशोधन किया जाना अनिवार्य होगा. अधिनियम में संशोधन करने के बाद इससे संबंधित दिशा-निर्देश जिलों को जारी कर दिये जाएंगे.

पंचायती राज का कार्य डीएम के माध्यम से अधीनस्थ पदाधिकारियों को दिये जाएंगे .वार्ड, ग्राम पंचायत और पंचायत समिति के तहत होने वाले कार्य बीडीओ कराएंगे और जिला परिषद के माध्यम से होने वाले कार्य को जिले के डीडीसी कराएंगे.

इन्हीं अफसरों के पास ही सारा पावर होगा. चूंकि अभी विधानमंडल का सत्र नहीं चल रहा है, इसलिए अध्यादेश के माध्यम से अधिनियम में संशोधन किया जाएगा. बाद में विधानमंडल सत्र से भी इसे पारित कराया जाएगा.

उधर शुक्रवार को बिहार सरकार के पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने पंचायत चुनाव को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार पंचायत चुनाव को लेकर पूरी तरह से तैयार है.

जल्द ही चुनाव की तारीखों के एलान भी हो जाएंगे लेकिन इसबार कई ऐसे मुखिया, सरपंच और वार्ड सदस्य हैं, जो चुनाव में खड़ा नहीं हो सकते.

मंत्री सम्राट चौधरी ने आगे कहा कि जिन लोगों ने 2016 का पंचायत चुनाव लड़ने के बाद खर्च का ब्योरा जमा नहीं किया है.

वे लोग चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. विभाग की ओर से पहले भी जनप्रतिनिधियों को सूचना दी गई थी. राज्य निर्वाचन आयोग पंचायत चुनाव को लेकर बिहार सरकार से जो भी सहयोग मांगेगा, बिहार सरकार उसे मुहैया कराएगी.

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