कहते हैं जब किसी की किस्मत ही फूटी हो तो वो हाथ में आया खजाना भी फेंक सकता है और अमेरिका में ऐसा ही हुआ है। अमेरिका में एक शख्स ने अनजाने में अपना लाखों का नुकसान कर लिया है। उसके हाथ में एक दुर्लभ मछली के तौर छोटा खजाना लग गया था और वो शख्स रातों रात लखपति बन सकता था, लेकिन उसने हाथ में आया मौका गंवा दिया। अमेरिका के आरकंसॉ का ये वाकया है, जहां एक शख्स के हाथ में एक दुर्लभ मछली लगी थी लेकिन उसने उसे बीमार समझकर वापस पानी में छोड़ दिया।
अमेरिकी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के आरकंसॉ में रहने वाला एक शख्स जब मछली पकड़ रहा था, तब उसके हाथ में दुर्लभ ‘गोल्डेन फिश’ लगी थी। इस मछली को वैसे बास कहा जाता है, जबकि इसे वैज्ञानिक बेहद दुर्लभ मछली मानते हैं और ये लाखों मछलियों में से एक होती है। रिपोर्ट के मुताबिक जोश रॉजर नाम का शख्स जब मछली पकड़ रहा था तब उसक जाल में गोल्डेन मछली फंस गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक जोश रॉजर आरकंसॉ के बीवर झील में मछली पकड़ रहा था।
वैज्ञानिकों के मुताबिक बास मछली लाखों में एक पाई जाती है और इसका मिलना किस्मत की ही बात होती है और जोश रॉजर की किस्मत भी कुछ देर के लिए उसके ऊपर मेहरबान हुई थी। बास मछली का रंग सुनहरा यानि सोने के रंग जैसा होता है, इसीलिए इसे सोने की मछली भी कहा जाता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक मछली का रंग जैंकोक्रोमिज्म की वजह से बदल गया था। ये एक तरह का शरीर के अंदर चल रहे किसी खास कैमिकल की वजह से होता है।
मछली का रंग भले ही सुनहरा हो जाता है, लेकिन वो पूरी तरह से स्वस्थ रहती है। बॉयलॉजिस्ट जॉन स्टीन के मुताबिक जेनेटिक गड़बड़ी की वजह से मछली का रंग बदल जाता है। वहीं, मछली पकड़ने वाले जोश रॉजर ने बाद में कहा कि उन्होंने सोचा कि मछली बीमार है, इसीलिए उन्होंने फोटो लेने के बाद उसे वापस पानी में छोड़ दिया।
मछली पकड़ने वाले जोश रॉजर ने मछली के साथ फोटो लेने के बाद उसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट कर दिया, जिसके बाद उनके फोटो पर कई कमेंच आने लगे और लोगों की प्रतिक्रिया चौंकाने वाली थी, जिसने जोश रॉजर को अफसोस में भर दिया। लोगों के कमेंट से जोश रॉजर को पता चला कि.
उन्होंने जिस मछली को वापस पानी में छोड़ा है, वो कोई साधारण मछली नहीं थी, बल्कि लाखों में पाई जाने वाली वो एक दुर्लभ मछली थी। जिसे पानी में वापस छोड़कर उन्होंने बहुत बड़ी गलती कर दी है। इस मछली का वजन करीब एक किलो था और लंबाई करीब 16 इंच थी।
वैज्ञानिकों के मुताबिक व्हेल मछली की उल्टी से बनने वाला ये खास पत्थर एक तरह का अपशिष्ट होता है। जिसे व्हेल पचा नहीं पाती और कई बार अपने मुंह से ही उगल देती है। इन्हें वैज्ञानिक भाषा में एम्बरग्रीस भी कहा जाता है। इसका रंग काले रंग का या फिर भूरे रंग का होता है। ये मोम जैसा ज्वलनशील पदार्थ है। आम तौर इसका वजह से 15 ग्राम से 50 किलोग्राम तक हो सकता है।