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यहां अभी रिश्तेदारों का आना है मना, जानिए सुहागनगरी के एक गांव के बाहर क्यों लगा है ये पोस्टर

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आगरा, राम खिलाड़ी सिंह। कोरोना से जंग में सिकंदरपुर के ग्रामीण अब तक सिकंदर हैं। दूसरी लहर में जहां गांव-गांव हालात बिगड़ रहे हैं, वहीं यहां सतर्कता की वजह से अब तक कोरोना नहीं पहुंच पाया है।

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2200 की आबादी के बाद भी गांव में कोई भी बाहरी व्यक्ति दिन तो छोड़िए, रात में भी प्रवेश नहीं कर सकता है। दोनों रास्तों पर बैरियर लगे हैं। बाहर के जरूरी कामों के लिए सतर्कता दल सुविधा मुहैया करा रहा है।

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अप्रैल में जब कोरोना संक्रमण का ग्राफ बढ़ा था, तभी इस गांव के युवाओं की टीम बनाकर गांव के बाहर लक्ष्मण रेखा खींच दी थी, जो सिर्फ बाहरी लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि गांव के लोगों के लिए भी थी। नव निर्वाचित प्रधान बने विकास प्रताप ने गांव के युवाओं को लेकर इसकी रणनीति बनाई। कोरोना को गांव में घुसने नहीं देंगे…

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के नारे के साथ युवाओं ने गांव में आने वाले दोनों रास्तों पर बैरियर लगाए तो दिन एवं रात के हिसाब से यहां पर ड्यूटी। ग्रामीणों से सलाह कर गांव में रिश्तेदारों का आना बैन कर दिया तो यह खबर भी रिश्तेदारों तक भिजवा दी, ताकि कोई परेशान न हो या फिर विवाद न हो। ग्रामीणों की इस समझदारी का ही नतीजा है कि यहां अप्रैल से अब तक कोई सामान्य मौत भी नहीं हुई।

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गांव के कई लोग बाहर दूध बेचने जाते हैं, लेकिन कोरोना से जंग में तय कर दिया कि गांव का दूध गांव में ही बेचा जाएगा। वहीं गांव में जो लोग सब्जी उगाने के बाद बाहर बेचने जाते हैं, उनसे भी कह दिया कि अपनी सब्जी को गांव में ही बेचें।

ओमकार सिंह आटो में सामान लेकर आते हैं। इसको सैनिटाइज करने के बाद घर-घर तक पहुंचाते हैं।जिन ग्रामीणों की कोर्ट में तारीख थी, उनके सभी काम बगैर फीस लिए इस वक्त गांव में ही रहने वाले एडवोकेट हनीफ खां कर रहे हैं।

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