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मुखिया बनने के लिए तोड़ा ब्रह्मचर्य, खरमास में बिहार जाकर की शादी, फिर भी नहीं पूरा हो पाया सपना

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हाथी सिंह लंबे अरसे से सामाजिक कार्यकर्त्ता के रूप में काम कर रहे हैं. समाजसेवा के चलते उन्होंने विवाह न करने का भी संकल्प कर रखा था. पिछले पंचायत चुनाव में भी हाथी सिंह मुखिया पद के लिए चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें 57 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था. 

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बलिया: यूपी पंचायत चुनाव में सफलता के लिए प्रत्याशी कैसे-कैसे दांव आजमाते हैं, इसका एक नमूना पंचायत चुनाव में दिखा. जीवन भर शादी नहीं करने की कसम खाने वाले भी सीट आरक्षित होने पर घोड़ी पर चढ़ गए. अपनी दुल्हन को चुनावी मैदान में उतार दिया. अब यूपी पंचायत चुनाव का रिजल्ट सामने आया तो टूटे गए अरमान.

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पिछली बार 57 वोटों से हार गए थे चुनाव 
हाथी सिंह लंबे अरसे से सामाजिक कार्यकर्त्ता के रूप में काम कर रहे हैं. समाजसेवा के चलते उन्होंने विवाह न करने का भी संकल्प कर रखा था. पिछले पंचायत चुनाव में भी हाथी सिंह मुखिया पद के लिए चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें 57 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था. 

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बिहार में की कोर्ट मैरेज
हाथी सिंह इस बार चुनाव लड़ने और जीत हासिल करने की उम्मीद लगाए हुए थे. लेकिन आरक्षण सूची ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया. सीट महिला के लिए आरक्षित हो गई.

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अब परेशान हाथी सिंह को उनके शुभचिंतकों ने उन्हें विवाह कर पत्नी को चुनाव लड़ाने की राय दी. हाथी सिंह को ये राय ठीक लगी. इसके बाद उन्होंने आनन-फानन एक युवती से बिहार की अदालत में कोर्ट मैरिज कर ली. 

34 वोटों से हार गईं हाथी सिंह की पत्नी 
शादी करते ही पत्नी निधि को चुनावी मैदान में उतार दिया. खुद घर-घर जाकर लोगों से अपने पक्ष में वोट मांगने जाने लगें. इस दौरान पत्नी को भी प्रचार में लगाया. मेंहदी लगे हाथों से ही निधि सिंह प्रचार प्रसार में लगी रहीं. ग्रामीणों ने भी निधि सिंह को खूब आशीर्वाद दिया.

लेकिन रिजल्ट आया तो निराशा हाथ लगी. हाथी सिंह की तरह उनकी पत्नी भी चुनाव हार गईं. यहां से हरि सिंह की पत्नी सोनिका देवी 564 वोट पाकर जीत गईं. हाथी सिंह की पत्नी निधि को 525 वोटों से संतोष करना पड़ा. 

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