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भारत के हर राज्य में बन रहा है जमीन का ‘आधार कार्ड’, जानें क्या है ULPIN, कैसे करेगा काम और क्या हैं फायदे…

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भारत के हर राज्य में बनेगा जमीन का आधार देश की सरकारों ने भी तकनीकी की क्षमता को पहचानते हुए इस ओर तेजी से कदम बढ़ाया है। एक अदद आधार कार्ड से आम नागरिकों की जिंदगी में तो बदलाव आया ही है, सरकारी एजेंसियों को भी अपनी जिम्मेदारियां पूरा करने में सुविधा हुई है। अब आधार के तर्ज पर ही जमीनों की भी पहचान संख्या जारी की जा रही है। साथ ही, भूखंडों के ब्योरों का कंप्यूटरीकरण करके उन्हें ऑनलाइन किया जा रहा है। अब जमीनों की विशिष्ट संख्या तैयार की जा रही है।

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दरअसल, जमीन मालिकों को आधार नंबर की तरह ही जमीन की भी 14 अक्षरों एवं अंकों की (Alpha-Numeric) पहचान संख्या दी जाएगी। इसे विशिष्ट भूखंड पहचान संख्या (ULPIN – Unique Land Parcel Identification Number) कहा जाएगा। यह सभी बैंकों और सरकारी संस्थाओं के पास उपलब्ध होगा। जिस तरह आधार कार्ड से व्यक्ति की पहचान की जाती है, उसी तरह जहां भी जमीन की पहचान की जरूरत होगी |

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बता दे की जमीन का ब्योरा जुटाने के लिए रेवेन्यू ऑफिस के चक्कर नहीं लगाने होंगे। ⮞ इस एक नंबर से जमीन की खरीद-बिक्री का हर ब्योरा उपलब्ध हो जाएगा।⮞ इस तरह, बाबुओं की जेब गरम करने में पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं रहेगी। ⮞ अब घर बैठे ऑनलाइन ही लैंड रिकॉर्ड देखा जा सकेगा और उसे प्रिंट भी किया जा सकेगा।⮞ जमीन के दस्तावेज में छेड़छाड़ या किसी तरह का घपला-घोटाला नहीं किया जा सकेगा। ⮞ जमीन विवाद के मामले घटेंगे।⮞ गलत तरीके से जमीन की रजिस्ट्री असली जमीन मालिक के अलावा दूसरे के नाम पर नहीं किया जा सकेगा। ⮞ एक ही जमीन पर अलग-अलग बैंकों से लोन नहीं लिया जा सकेगा।⮞ जमीन को लेकर धोखाधड़ी के मामले कम होंगे।⮞ बेनामी लेनदेन पर रोक लगेगी। ⮞ जमीन की रजिस्ट्री आसान हो जाएगी।

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⮞ अब तक गांव को इकाई मानकर जमीन की पहचान की जाती थी। इस कारण हर रजिस्ट्री में इकाई के रूप में गांव का ही जिक्र होता था।⮞ घर का रिकॉर्ड चौहद्दी के अनुसार तैयार किया जाता था जो विवाद का कारण बनता था।

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