आपने पर्यावरण को बचाने के लिए सरकार की तरफ़ से बहुत-सी योजनाएँ सुनी होगी। हो सकता है आपने वैश्विक स्तर पर ‘सस्टेनेबल गोल डेवलपमेंट’नाम की चीज भी सुनी हो। जिसने दुनिया के पर्यावरण को साफ-सुथरा बनाए रखने के लिए सभी देशों के लिए 17 गोल निर्धारित किए हैं। जो कि कार्बन उत्सर्जन, पेड़ों की कटाई, भूमिगत जल का संरक्षण जैसे लक्ष्य निर्धारित करता है।लेकिन आप जानते होंगे कि पर्यावरण को बचाने के लिए अकेले सरकार ना काफ़ी है। इसके लिए लोगों को भी आगे आना होगा।
आज हम आपको एक ऐसे ही शख़्स की कहानी बताने जा रहे हैं, जो सिर्फ़ आगे ही नहीं आया। बल्कि अपने स्तर पर बहुत कुछ कर भी रहा है। उसका मानना है कि सरकार की कमियाँ गिनाना तो हम सभी जानते हैं, लेकिन अपनी जिम्मेदारी कोई नहीं निभाना चाहता। आइए जानते हैं कि कौन है वह शख्स और किस तरह से पर्यावरण को बचाने का काम कर रहा है।
पर्यावरण के प्रति उन्होंने अपना फ़र्ज़ अदा करने के लिए सबसे पहले अपने घर पर सोलर पैनल लगवा लिए। वह बताते हैं कि सर्दियों में उनका बिजली का बिल कम और गर्मियों में हमेशा ज़्यादा आया करता था। दो महीने में करीब 1000 यूनिट बिजली की खपत होती थी। ऐसे में उन्होंने बिजली ग्रिड पर से निर्भरता कम करने के लिए घर की छत पर 5 किलोवाट (5 kilowatt) का सोलर पैनल लगवा लिया।
सोलर पैनल लगवाने के बाद उनके घर बिजली का बिल दस हज़ार से सीधा ‘जीरो’ (Zero) के लगभग पहुँच गया। आज सोलर पैनल से भी उनके घर पहले की तरह एसी, कूलर, पंखा और लाइट जलती है।दिलीप सिंह सोढ़ा बताते हैं कि सोलर सिस्टम की लागत 1 लाख 65 हज़ार रुपए आई थी। जो कि सरकार की सब्सिडी लेने के बाद आती है। साथ ही इसे लगवाने का 25 हज़ार का अलग से ख़र्चा आता है।
लेकिन इसे लगवाने के बाद जिस तरह से उनका बिजली बिल जीरो हो गया है उससे तीन साल में इसकी क़ीमत पूरी अदा हो जाएगी। इस तरह से बिजली बिल कम करने का एक अच्छा विकल्प निकल कर आया है। वह कहते हैं कि हमें सोलर पैनल लगवाने के लिएपहले आसपास दो-तीन कंपनियों से बात कर लेनी चाहिए। आज कल बहुत-सी कंपनियाँ ऐसी भी आती हैं जो सरकारी सब्सिडी का सारा काम-काज ख़ुद देखती हैं। ऐसे में ग्राहकों को इसका बोझ नहीं उठाना पड़ता।