Site icon First Bharatiya

पुरे 70 साल बाद एयर इंडिया की विमान आया रतन टाटा कंपनी के हाथ सबसे अधिक लगायी बोली

aeb6d8f9 6e8b 42c5 9a6f 578c52bacb25 47

इस वक्त एक बड़ी खबर सामने आ रही है. सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया की बोली टाटा संस ने जीत ली है. यानी अब एयर इंडिया टाटा समूह के नियंत्रण में जाएगी. एयर इंडिया की बिक्री प्रक्रिया में टाटा समूह ने सबसे ज्यादा कीमत लगाकर बिड जीत ली है |  टाटा संस ने सबसे ऊंची बोली लगाकर एयर इंडिया को खरीद लिया है। अब जल्दी ही कंपनी के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होगी। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक टाटा संस ने सबसे ज्यादा कीमत लगाकर बोली जीत ली है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मंत्रियों के एक पैनल ने एयरलाइन के अधिग्रहण के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। आने वाले दिनों में एक आधिकारिक घोषणा की उम्मीद है। रिपोर्ट के मुताबिक सरकार इसकी घोषणा जल्द कर सकती है। दिसंबर तक टाटा को एयर इंडिया का मालिकाना हक मिल सकता है।

Also read: बड़ी खबर : Muzaffarpur से Anand Vihar के लिए चलने वाली विशेष ट्रेन को लेकर आया बड़ा अपडेट टिकट लेने से पहले…

एअर इंडिया के लिए जो कमेटी बनी है, उसमें वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण, कॉमर्स मंत्री पियूष गोयल और एविएशन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एअर इंडिया का रिजर्व प्राइस 15 से 20 हजार करोड़ रुपए तय किया गया था।

Also read: खुशखबरी : बिहार में एका-एक इतना रुपया सस्ता हुआ डीजल और पेट्रोल जानिये क्या है ताजा कीमत

हांलाकि अभी नागरिक उड्डयन मंत्रालय से इसकी पुष्टि नहीं हुई है।अगर ऐसा हुआ है तो कर्ज में डूबी सार्वजनिक क्षेत्र की एयरलाइन एयर इंडिया एक बार फिर टाटा ग्रुप के हाथों में चली जाएगी। दरअसल, एयर इंडिया के लिए बोली लगाने की आखिरी तिथि 15 सितंबर थी। इस एयरलाइन के लिए बोली लगाने वाली कंपनियों में टाटा संस भी शामिल थी।

Also read: Good News : बिहार में इस तिथि को इस जिले में दस्तक देने जा रही है मानसून होगी मुसलाधार बारिश, जानिये…

1932 में हुई थी एयरलाइन की शुरुआत

Also read: सफ़र कीजिये वन्दे भारत एक्सप्रेस से बचाएगी आपको पुरे 50 मिनट का समय, इस रूट पर होने जा रही है शुरू

जे आर डी टाटा ने 1932 में टाटा एयर सर्विसेज शुरू की थी, जो बाद में टाटा एयरलाइंस हुई और 29 जुलाई 1946 को यह पब्लिक लिमिटेड कंपनी हो गई थी। 1953 में सरकार ने टाटा एयरलाइंस का अधिग्रहण कर लिया और यह सरकारी कंपनी बन गई।

Exit mobile version