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क्या सच में किस्मत होता है? कोई कहता है मेरी खराब किस्मत है , कोई कहता है मेरी अच्छी किस्मत है। क्या यह सब ऐसे ही बोला जा रहा है, या इसमें कुछ सच्चाई भी है। सीधे-सीधे बोले तो मुझे नहीं पता। मुझे तो बस इतना पता है की परिश्रम का कोई विकल्प नहीं होता। चाहे कोई भी हो अच्छी किस्मत वाले या खराब किस्मत वाले सफलता तो परिश्रम करने वाले की ही कदम चूमती है।

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इस बात को सच साबित किया है आईएएस (IAS – Indian Administrative Service) अधिकारी Navjeevan Pawar। आईएएस (IAS – Indian Administrative Service) अधिकारी नवजीवन पवार का जन्म महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में छोटा सा गांव नवीवेज में हुआ । अति साधारण परिवार से आए IAS नवजीवन पवार ने यूपीएससी ( UPSC – Union Public Service Commission) परीक्षा 2018 में उत्तीर्ण करके यह साबित कर दिया कि परिश्रम का कोई विकल्प नहीं होता। यह उनका पहला ही प्रयास था। यूपीएससी परीक्षा के पहले ही प्रयास में नवजीवन पवार ने 360 रैंक हासिल कर आईएएस (IAS – Indian Administrative Service) अधिकारी बने।

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किसान परिवार से ताल्लुकात रखते है

UPSC IAS Success Story in Hindi : नवजीवन अति साधारण परिवार से आते हैं। नवजीवन के पिता एक किसान है, और माता एक प्राइमरी स्कूल की टीचर है। जमीन से जुड़े इस परिवार का माहौल हमेशा अच्छा रहता था। इसीलिए नवजीवन की अच्छी परवरिश हो पाई | नवजीवन बचपन से ही पढ़ाई में अच्छे थे।

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अच्छे अंकों से 12th पास किया

धीरे-धीरे जिंदगी की गाड़ी आगे बढ़ी और नवजीवन अच्छे अंको से 12th पास कर गए। 12th के बाद उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में एडमिशन ले लिए। साल 2017 में उन्होंने अच्छे अंको से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री भी हासिल कर ली। यहां तक तो सब ठीक चल रहा था। लेकिन नवजीवन के मन में कहीं ना कहीं आईएएस (IAS – Indian Administrative Service) बनने का इच्छा था।

परीक्षा से ठीक पहले डेंगू हो गया

नवजीवन ने कड़ी मेहनत की, यूपीएससी का प्रारंभिक परीक्षा हुआ, सौभाग्य से नवजीवन प्रारंभिक परीक्षा में पास कर गए। नवजीवन अब मैंस परीक्षा की तैयारी में लग गए। मेंस परीक्षा का महज एक महीना ही बाकी था, की नवजीवन पवार बीमार हो गए। नवजीवन को डेंगू हो गया था। इधर मेंस का परीक्षा नजदीक आता जा रहा था, उधर नवजीवन की हालत में कोई सुधार नहीं दिख रहा था। नवजीवन को 24 घंटे 101 डिग्री तापमान का बुखार रहता था। स्तिथि काफी नाजुक हो चली थी | शरीर का प्लेटलेट काफी तेजी से निचे आ रहा था | डॉक्टर भी चिंतित थे |

सभी लोग चिंतित थे

दिन-प्रतिदिन नवजीवन की हालात और नाजुक होती जा रही थी। आनन-फानन में नवजीवन को आईसीयू में शिफ्ट किया गया। लेकिन जब मन में कुछ कर गुजरने की चाहत होती है, तो कोई भी समस्या , समस्या नहीं रहती, नए अवसर लेकर आती है | इसीलिए तो नवजीवन के एक हाथ में इंजेक्शन पर इंजेक्शन लग रहे थे, और दूसरे हाथ में यूपीएससी के नोट्स थे। नवजीवन आईसीयू में भी मेंस परीक्षा की तैयारी जारी रखा | अपने दाहिने हाथ से तैयारी करते रहे, नोट्स का रिवीजन करते रहे, डाउट क्लियर करते रहे। इस लगन और परिश्रम को देखकर डॉक्टर भी काफी प्रभावित थे | इसीलिए डॉक्टर्स नवजीवन को सपोर्ट भी कर रहे थे, कि वह मेंस से पहले किसी तरह ठीक हो जाए। परिवार के लोग भी काफी सहयोग कर रहे थे की मेंस परीक्षा में नवजीवन अच्छी तरह से पास हो जाए।

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...