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यूपीएससी की परीक्षा को अपने आप में सबसे कठिन और कड़ा एग्जाम माना जाता है | अभ्यर्थी अपना घर परिवार खाना पीना सब भूल कर खुद को इस परीक्षा की तैयारी में पूरी तरह से झोंक देते हैं | ऐसी एक कहानी है वीर प्रताप सिंह राघव की, जिन्होंने यूपीएससी पास कर आईएएस अफसर बनने के लिए जितनी कठिन तपस्या की, कहीं उससे अधिक उनके परिवार ने दुख और कष्ट सहे। लेकिन इसके बाद जब मेहनत का फल मिला तो वह अपने स्वाद से भी अधिक मीठा निकला।

एक गरीब परिवार के युवक वीर प्रताप सिंह राघव ने अपनी शुरूआती दौर से ही आईएएस अफसर बनने का सपना देखा था, मगर यह रास्ता इतना भी आसान नहीं था, जितना वीर ने सोचा था। हालांकि वह शुरू से ही पढ़ाई में मेघावी थे। उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के एक गांव में रहने वाले वीर के घर से उनका स्कूल पांच किलोमीटर दूर था और रास्ते में एक नदी भी पड़ती थी।

वीर के पिता पेशे से किसान थे, मगर उनकी आर्थिक हालत बेहद ही दुखद थी। इसके चलते ही वीर ने अपनी शुरूआती शिक्षा गांव करौरा के स्कूल से की थी। छठी कक्षा के बाद वीर ने हाईस्कूल तक की पढ़ाई शिकारपुर के स्कूल से पूरी की। इसके बाद उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया और वहां से बीटेक की डिग्री हासिल की।

वीर के बड़े भाई भी यूपीएससी की पढ़ाई करना चाहते थे, पंरतु घर की माली हालत सही ना होने की वजह से वह अपने सपने को पूरा नहीं कर पाए और बाद में उन्होंने सीआरपीएफ को ज्वाइंन कर लिया। बड़े भाई ने अपना सपना पूरा करने के लिए वीर से यूपीएससी करने के लिए कहा। इसके बाद ही वीर ने इसकी तैयारी शुरू कर दी।

बताया जाता है कि वीर की यूपीएससी की तैयारी करने के लिए उनके पिता ने तीन प्रतिशत ब्याज पर कर्जा लिया। जिसके बाद वह इस कठिन परीक्षा की तैयारी शुरू कर पाए। वीर ने अपने पिता और भाई के इस कष्ट को समझते हुए दिन रात पढ़ाई की। पंरतु इसके बावजूद वह दो बार फेल हो गए। पंरतु तीनों ने ठान लिया था कि हर हाल में इस परीक्षा को पास करना है। वीर और उनके परिवार तो दांव पर लगी ही थी,

तीसरी बाद वीर ने फिर से यूपीएससी की परीक्षा दी। इस बार जब रिजल्ट आया तो पूरे परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वीर ने साल 2018 में यूपीएससी में 92 वीं रैंक हासिल कर अपने परिवार का नाम रोशन कर दिया था। इस तरह से वीर ने अपना व अपने परिवार सपना पूरा करके दिखाया। 

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...