संस्कारों का देश भारत देश को कहा जाता है इस देश में लोग माता-पिता और गुरुजन को अपना भगवान् मानते है. हमारे यहाँ लोग अपने कर्मों से महान होते है और जो बच्चे को सही मार्गदर्शन देते है उनका स्थान सर्वप्रथम रखा गया है.

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आज के इस खबर में हम आपको एक ऐसे टीचर के बारे में बताने वाले है जिनकी कहानी जानने के बाद आपने आँखों से आंसू निकल आयेंगे दरअसल हम बात करने वाले है. विजय कुमार के बारे में जो की अपने जीवन में टीचर बनने से पहले दूध बेचते थे रिक्सा चलाते थे.

उसके बाद मेहनत करके वो टीचर बने फिर स्कूल का हेडमास्टर बने और जब उनके जीवन की पूरी कमाई उनके रिटायरमेंट में दी गई. तब उन्होंने वो सारे पैसे उन गरीब बच्चे में बाँट दी जिन्हें पैसे की बहुत जरूरत थी. साथ ही इसके बारे में उन्होंने बताया कि….

गरीबी क्या चीज होती है इसको मैनें बहुत करीब से देखा है और बिना पैसे के कैसे दिन जाते है ये भी मैंने महसूस किया है. मेरे पास खाने पिने और रहने के लिए है पैसे मैंने अपना पैसा इसीलिए बच्चे में दे दिया ताकि कोई पैसा के अभाव में अनपढ़ न रह सके. बाकी दोस्तों ऐसे-ऐसे टीचर और सभ्य इंसान को हमारी समाज की बहुत जरूरी है…इनके बारे में आप क्या सोचते है कमेंट करके जरूर बताएं.

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...