दोस्तों आज भी हमारे भारत में कई ऐसे परिवार है जो बिना खाए ही सोते है दोस्तों कई तो ऐसे लोग है जो दुसरे पर हमेशा आश्रित रहते है की कोई आएगा तो देगा फिर खायेगा. लेकिन इन लोगों के लिए वृद्ध लोगों के लिए वृधाश्रम और अनाथ यानी की जिनके माता-पिता नहीं है.
उन लोगों के लिए अनाथालय जैसे संस्थान है जो उसका जीवन कैसे भी करके यापन हो जाता है. दोस्तों आज के इस खबर में हां बात करने वाले है एक ऐसे आईएएस ऑफिसर के बारे में जो की अनाथालय में रहे इतना ही नहीं अनाथालय म रहने के बाद कुछ दिन की चपरासी का काम उसके बाद फतह किया यूपीएससी का एग्जाम.
दोस्तों दरअसल यह मामला है दक्षिण भारत के केरल के मलप्पुरम जिले के एक छोटा सा गाँव है जिसका नाम एडवान्नाप्पारा है. और दोस्तों हम जिसके बार एमे बात कर रहे है उनका नाम मोहम्मद अली शिहाब है. दोस्तों मोहम्मद अली शिहाब का जन्म एक बेहद गरीब परिवार में हुआ था.
दोस्तों उनकी गरीबी का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है की वो मजब कुछ साल के ही हुए तो वो अपने पिता के साथ बांस की टोकड़ी बेचने लगे और ऊपर वाले ने उनके साथ एक और ना इंसाफी किया की कुछ ही दिनों के बाद उनसे उनके पिता को भी छीन लिया.
दोस्तों मानो ऐसा हो गया की उनके जीवन में दुखों का पहाड़ ही टूट गया. फिर उनके पिता के निधन हो जाने के बाद उनके घर दुःख का सैलाब आ गया और उनके खाने के लिए सोचने पड़ते थे समय बीतता गया कुछ समय बाद उनकी माँ ने उन्हें अनाथालय भेजबा दिया ताकि इनकी परवरिश अच्छे से हो सके.
दोस्तों धीरे-धीरे मोहम्मद अली शिहाब के अनाथालय में 10 साला गुजर गए. और वहां पर उनकी दोस्ती अच्छे-अच्छे बच्चे से होती अहि वो अपने भविष्य को बेहतर बनाने के लिए पढाई करते अहि और कमरतोड़ मेहनत करते है. और बड़े होकर वो देश के सबसे बड़े लेवल की परीक्षा यूपीएससी में बैठते है.
लेकिन पहली बार में उन्हें सफलता नहीं मिलती है. उन्हें निराशा हाथ लगती है वो इस चीज से काफी निराश हुए लेकिन वो फिर भी हिम्मत नहीं हारे और तैयारी करते रहे दोस्तों उनके जीवन में एक समय ऐसा भी आया जब वो यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हाशिल किये.
और वो दिन उनके जीवन की सबसे बड़ा दिन होगा दोस्तों आप ही सोचिये जो बच्चे अपना आधा जीवन और पूरा बचपन अनाथालय में गुजार दिया. और उसके बाद अपने पिता को बचपन में ही खो दिया आर्थिक तंगी के चलते माँ ने अनाथालय भेज दिया लेकिन बेटा ने आईएएस बनकर अपने माँ के सपने को किया साकार गर्व है हमने ऐसे लोगों पर.