इस दुनिया में किस्मत को कोसना सबसे आसान काम है | कुछ भी गलत हो, बस लोग बोल देते है मेरी तो किस्मत ही ख़राब है | अच्छा या बुरा किस्मत ये सब उपरवाले के हाथ में है | लेकिन हम चाहे तो अपनी किस्मत खुद लिख सकते है, इसकी स्वतंत्रता हमें दी गई है | इस बात को सही साबित कर दिखाया है एक दृष्टीहीन लड़की पूर्णा सुंदरी | पूर्णा तमिलनाडु के मदुरई की रहने वाली है | पूर्णा आईएएस अधिकारी बनकर सभी लोगो के लिए प्रेरणा श्रोत बन गई है |
पूर्णा सांथरी का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था | पिता एक प्राइवेट जॉब करते थे | दुर्भाग्य से पूर्णा ने अपनी आंखों की रोशनी महज पाँच वर्ष की छोटी सी आयु में खो दी थी, मगर पूर्णा ने कभी हार नहीं मानी और संघ लोक सेवा आयोग UPSC की परीक्षा पास कर आईएएस अधिकारी बन गई .
आँखों की रौशनी चली गई थी | पूर्णा अपनी भविष्य को लेकर काफी चिंतित रहने लगी | फिर पूर्णा के माता-पिता ने हौसला दिया | पूर्णा ने प्रारंभिक शिक्षा मदुरई पिल्लैमर संगम हायर सेकेंडरी स्कूल से की | उसके बाद पूर्णा ने मदुरई के ही फातिमा कॉलेज से इंग्लिश लिटरेचर में बैचलर्स की डिग्री ली | ऐसा अक्सर देखा जाता है कि विद्यार्थियों में अपने करियर को लेकर काफी कंफ्यूज होते रहते हैं, लेकिन पूर्णा सुंदरी अपने सपनों के लिए बिल्कुल क्लियर थीं। 11वीं कक्षा से ही पूर्णा सुंदरी ने अपना यूपीएससी क्लियर करने का सपना देखा था और वह तभी से इसकी तैयारी में जुट गई थीं।
UPSC की तैयारी के दौरान पूर्णा को कई दिक्कतों का सामना करना पर रहा था | आँख से न दिखने के कारण वो ऑडियो सुन-सुन कर टॉपिक को याद करती थी | कभी-कभी ऐसा होता की किसी-किसी टॉपिक का ऑडियो उपलब्ध नहीं होता | पूर्णा की माँ और उनके दोंस्त सब साथ में बैठ कर टॉपिक का ऑडियो फॉर्मेट तैयार करते | फिर पूर्णा उस ऑडियो को सुन कर उसे याद करती |
UPSC परीक्षा के पहले तीन प्रयास में पूर्णा को असफलता का मुह देखना पड़ा | जाहिर सी बात है निराशा तो होगी ही | दृढ संकल्प के साथ पूर्णा चौथी बार में सफलता पा लिया | पूर्णा को UPSC परीक्षा में आल इंडिया 286 वां रैंक प्राप्त हुआ | अंततः सभी लोगो का मेहनत रंग लाया | सभी लोग ख़ुशी से झूम उठे |
एक साक्षात्कार में पूर्णा ने बताया की उनके इस सफ़र में हर कदम पर उनके माता-पिता ने साथ दिया | बिना पेरेंट्स के सपोर्ट के बिना तो यूपीएससी की तैयारी करना नामुमकिन है | अंतत: पूर्णा की मेहनत रंग लाई और उन्होंने आईएएस बनकर अपनी किस्मत खुद लिख दी |