इंडिया में 5G नेटवर्क का ट्रायल जल्द शुरू होने को है. साथ ही लेटेस्ट न्यूज़ ये है कि एक्ट्रेस जूही चावला इंडिया में 5G ट्रायल को रुकवाने के लिए अदालत पहुंच गईं हैं. जूही ने अदालत में अर्जी डाली है कि भारत में टेलिकॉम कम्पनीज़ को 5G ट्रायल करने से रोका जाए. क्यों चाहती हैं जूही ये ट्रायल रुकवाना, क्या है पूरा मामला आइये समझते हैं.

लंबे वक़्त से टेलिकॉम कंपनियां सरकार से भारत में 5G ट्रायल की मांग कर रहीं थीं. इस मांग को मई की शुरुआत में सरकार ने मान लिया और आखिरकार ट्रायल की मंज़ूरी दे दी. सरकार ने टेलिकॉम कंपनियों को आदेश दिए कि वो 5G ट्रायल सिर्फ बड़े शहरों तक सीमित ना रखें. बल्कि गांव, कस्बों, छोटे शहरों के इलाकों में भी इसका ट्रायल किया जाए. इस काम के लिए सरकार ने कंपनियों को 6 महीने का वक़्त दिया है.

Also read: Bullet Train In Rajsthan: दिल्ली – अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के तहत राजस्थान के 7 जिलों के 335 गावों से होकर भी गुजरेगी बुलेट ट्रेन, खबर में जानिए पूरी डिटेल्स…

Also read: India New Expressway: इसी साल में बनकर तैयार होंगे भारत का दूसरा सबसे लंबा सूरत-चेन्नई एक्सप्रेसवे, निर्माण में खर्च किये जायेंगे 50 हजार करोड़ रुपये

इंडिया में एयरटेल, जियो, वोडाफ़ोन, आईडिया, एमटीएनएल जैसी कंपनियां इस ट्रायल का हिस्सा हैं. इन कंपनियों का 5G उपकरणों के लिए एरिक्सन, नोकिया, सैमसंग और सीडॉट जैसी कंपनियों के साथ टाई-अप है. हालांकि चाइना से खराब रिश्तों के चलते इस ट्रायल में किसी भी चाइनीज़ कंपनी को शामिल नहीं किया गया है.

स्पीड की बात करें तो 5G इंटरनेट 4G इंटरनेट से लगभग सौ गुना तेज़ होता है. जिसका मतलब है 5G आने के बाद ऑटोनॉमस व्हिकल्स, वर्चुअल रिएलटी और इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स जैसी चीज़ें भी धीरे-धीरे कॉमन होती चली जाएंगी.

जूही चावला ने भारत में 5G ट्रायल रोकने के लिए अदालत में अर्जी डाल दी है. जिसकी 31 मई को पहली सुनवाई भी हो चुकी है. जूही का मानना है 5G का आना पर्यावरण के लिए बेहद नुकसानदेह हो सकता है. इस बारे में बात करते हुए जूही ने मीडिया से कहा,

जूही का कहना है 5G आने के बाद इंटरनेट स्पीड के साथ रेडिएशन भी सौ गुना बढ़ जाएगा. 24 घंटे, 12 महीने, 365 दिन हम रेडिएशन में रहेंगे. कोई भी इंसान, जानवर, पेड़ पौधे, चिड़िया, जीव, जन्तु इससे बच नहीं पाएगा. जूही के मुताबिक़ 5G प्लान से समस्त धरती के पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को गंभीर खतरा है.

इसका जवाब थोड़ी सी साइंस समझ कर आप को खुद मिल जाएगा. दो टाइप की रेडिएशन तरंगें होती हैं.
1- आयोनाइजिंग रेडिएशन.
2- नॉन आयोनाइजिंग रेडिएशन.

आयोनाइजिंग रेडिएशन की तीव्रता काफ़ी तेज़ होती हैं. उदाहरण के लिए अल्ट्रावॉयलेट तरंगें जैसे एक्स रे और गामा रेज़. ये तरंगें शरीर को नुकसान पहुंचा सकती हैं. शरीर की कोशिकाओं और डीएनए तक पर असर छोड़ सकती हैं. इसलिए ही कहा जाता है कि बार-बार एक्स-रे न कराएं. यहां तक कि सूरज की रोशनी में भी ज्यादा देर बैठने को मना किया जाता है.

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...