दोस्तों हमारे भारत की सबसे सर्वश्रेष्ठ एग्जाम यूपीएससी को माना जाता अहि और यूपीएससी की परीक्षा के लिए हमारे भारत में लाखो युवा आशा लगाये हुए है. और पंक्ति में खड़े है लेकिन सफलता सिर्फ उन्ही को मिलता है जो इन लाखों में से सबसे अच्छा परदर्शन दिखाते है.

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दोस्तों आज के इस खबर में हम बात करने वाले है एक आदिवासी लड़की के बारे में जो एक फूस के घर में रहकर अपने घर वाले के सपने को साकार किया. जी हाँ दोस्तों हम जिसके बारे में बात करने वाले है वो केरल के वायनाड की एक आदिवासी लड़की है और उसका नाम श्री धन्या सुरेश है उनके पिता मजदुर है.

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दोस्तों श्री धन्या का के परिवार वाले आर्थिक रूप से काफी कमजोर थे. और एक मजदुर के बेटी फूस के घर में रहने वाली लड़की का यूपीएससी तक के सफर अपने-आप में काफी बड़ा है. श्री धन्या के माता-पिता के पास उतनी पैसा नहीं थी की उन्हें वो अच्छे स्कूल और संस्थान में पढ़ा सके.

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लेकिन उनके माता-पिता जो स्थिति में थे उनसे जो हो सका उन्होंने अपने बिटिया के लिए किया. और श्री धन्या ने भी हिम्मत नहीं हारी और अपनी बचपन की पढाई पूरी करने के बाद श्री धन्या की नौकरी विकाश विभाग में कलार्क के पद पर लगी.

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दोस्तों लेकिन श्री धन्या का बचपन से ही मन था की वो भी यूपीएससी की परीक्षा में बैठे और सफलता हाशिल करें आगे चलकर उन्होंने यूपीएससी करने का मन बनाया.

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और यूपीएससी की परीक्षा में पहले ही प्रयास में 410वां स्थान प्राप्त की और आईएएस बनी एक गरीब परिवार में जन्मी श्री धन्या के लिए यूपीएससी का सफ़र आसान नहीं था. आज के समय नके लड़की के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है श्री धन्या.

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अपने गाँव की पहली आईएएस ऑफिसर है श्री धान्या

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श्री धान्या के पिता करते थे मंरेगा में मजदूरी

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सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...